वर्ष 2014 से 2019 तक इनकम टैक्स में हुए बदलावों की सूची

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वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने अंतरिम बजट-2019-20 के दौरान आयकर (इनकम टैक्स) में बदलावों की घोषणा की. वित्त वर्ष 2019-20 के लिए पेश हुए अंतरिम बजट में वित्त मंत्री ने मध्यम वर्ग को राहत देते हुए विभिन्न घोषणाएं की हैं. इनमें सबसे बड़ी घोषणा इनकम टैक्स के स्लैब में परिवर्तन है.

वित्त मंत्री की नई घोषणा के तहत ने 5 लाख रुपये तक की आय को करमुक्त कर दिया है. सभी इनकम टैक्स दरों को अपरिवर्तित रखा गया है. इसके अलावा 6.50 लाख रुपये तक की सालाना इनकम वालों को टैक्स छूट के दायरे में रखा गया है बशर्ते ऐसे लोगों ने आयकर की धारा 80C के अंतर्गत पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ), इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस), नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (एनएससी) और इंश्योरेंस स्कीम इत्यादि में निवेश किया हो. इसके अंतर्गत 1.5 लाख रुपये तक की कर-छूट प्राप्त करने का प्रावधान है. इसकी प्रकार पिछले पांच वर्षों के दौरान भी विभिन्न घोषणाएं की गई हैं जो निम्नलिखित हैं:

बजट 2014-15

इस बजट में इनकम टैक्स में छूट की सीमा 1 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख कर दी गई थी. वहीं, 60 वर्ष से ज्यादा और 80 वर्ष से कम उम्र के वरिष्ठ नागरिकों को टैक्स छूट की सीमा 3 लाख कर दी गई थी. इसके साथ ही, इनकम टैक्स ऐक्ट के सेक्शन 80C के तहत निवेश पर टैक्स छूट की सीमा भी तब 1 लाख से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये कर दी गई थी. साथ ही, मध्य वर्ग के लोगों को सेक्शन 24 के तहत हाउसिंग लोन के ब्याज पर टैक्स छूट की सीमा 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दी गई थी.

बजट 2015-16

वर्तमान सरकार ने अपने दूसरे बजट में पर्सनल इनकम टैक्स स्लैब्स और रेट्स में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया. हालांकि, कुछ ऐसे ऐलान किए जिनसे सैलरीड क्लास को निवेश पर ज्यादा टैक्स बचाने में मदद मिली. वर्ष 2015-16 के बजट में सरकार ने नैशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) को ज्यादा आकर्षक बनाने के लिए सेक्शन 80CCD(1b) के तहत एनपीएस में निवेश पर अतिरिक्त 50 हजार रुपये की टैक्स छूट की घोषणा की गई थी. यह सेक्शन 80C के तहत मिल रही 1.5 लाख रुपये की टैक्स छूट से अलग थी. सुकन्या समृद्धि योजना को भी पीपीएफ के समान ही टैक्स छूट के दायरे में ला दिया गया. बजट घोषणा से पहले सुकन्या समृद्धि योजना में निवेश की रकम पर सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट मिल रही थी, लेकिन इससे हुई आमदनी और निकासी पर टैक्स का प्रावधान था.

बजट 2016-17

इस बजट में हाइ नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (HNIs) यानी 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की सालाना कमाई वाले इंडिविजुअल्स के लिए सरचार्ज में फिर से 3 प्रतिशत की वृद्धि की गई और यह 15 प्रतिशत पर पहुंच गया था. इसके अतिरिक्त किराए के मकान में रह रहे ऐसे लोगों को जिनकी सैलरी में हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) पार्ट नहीं होता है, उन्हें सेक्शन 80GG के तहत किराए की रकम पर टैक्स छूट की सीमा 24 हजार रुपये से बढ़ाकर 60 हजार रुपये कर दी गई थी. साथ ही 5 लाख रुपये से कम की सालाना आमदनी वाले छोटे और सीमांत करदाताओं को इनकम टैक्स पर 2 हजार रुपये 5 हजार रुपये तक की राहत दी गई.

बजट 2017-18

इस बजट में 2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक के ऐनुअल इनकम पर टैक्स की दर 10 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी गई. इससे करदाताओं को 12,500 रुपये अधिक बचने लगे हैं. उधर, 50 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये के बीच सालाना कमाई कर रहे लोगों के लिए टैक्स पर 10 प्रतिशत सरचार्ज का नया प्रावधान कर दिया गया.

बजट 2018-19

पिछले साल के बजट में मोदी सरकार ने सैलरीड क्लास और पेंशनभोगियों के लिए 40 हजार रु. के स्टैंडर्ड डिडक्शन की वापसी का ऐलान किया, लेकिन बदले में मेडिकल रीइंबर्समेंट्स और ट्रांसपोर्ट अलाउंस पर टैक्स छूट खत्म कर दी. इससे टैक्सपेयरों को 5,800 रुपये की अतिरिक्त टैक्स बचत हो रही है. वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में टैक्स पर 1 प्रतिशत सेस बढ़ा दिया गया. इस तरह पिछले वर्ष से सेस 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत हो गया. इसी बजट में एक वित्त वर्ष में 1 लाख रुपये से ज्यादा कैपिटल गेंस पर इंडेक्सेशन बेनिफिट के साथ 10 प्रतिशत का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस (एलटीसीजी) टैक्स लागू कर दिया गया.

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